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Faridabad News: पुत्रवधू के लालच ने ली दो-दो जिंदगियां – परिवार तबाह

Faridabad के बल्लभगढ़ की भीकम कॉलोनी में घटित यह घटना किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती। लेकिन यह सच्चाई है, और इतनी भयावह कि सुनने वालों की रूह कांप जाए। बल्लभगढ़ आत्महत्या कांड में एक ही परिवार की दो जिंदगियां खत्म हो गईं। पहले जवान बेटे ने फांसी लगाई और तीन महीने बाद उसके पिता ने भी वही रास्ता चुन लिया।

शादी के बाद शुरू हुआ विवाद

गौरव धनखड़ की शादी दिसंबर 2024 में बल्लभगढ़ के ऊंचा गांव की युवती से हुई थी। परिवार ने दहेज तक नहीं लिया, सब कुछ सादगी और खुशी से हुआ। लेकिन शादी के बाद का सफर उस मासूम घर के लिए विनाश की शुरुआत साबित हुआ।

बेटे की दर्दनाक आत्महत्या

शादी के कुछ ही महीनों बाद पति-पत्नी के बीच कलह शुरू हो गई। झगड़े बढ़ते गए और गौरव धीरे-धीरे अवसाद में चला गया। घरवाले समझाते रहे, लेकिन वह गुमसुम रहने लगा। 26 मई को उसने अपने ही कमरे में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा।

पिता का टूटा सब्र और दूसरा हादसा

बेटे की मौत से टूटा यह परिवार अभी संभल भी नहीं पाया था कि नया तूफान आ गया। आरोप है कि पुत्रवधू लगातार मकान अपने नाम कराने का दबाव डाल रही थी। सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर धमकी तक दी जा रही थी। इन सबके बीच गौरव के पिता नरेंद्र धनखड़ रोज़ाना इस दर्द में घुलते रहे। आखिरकार, 51 वर्षीय नरेंद्र ने भी उसी घर में फांसी लगाकर जीवन समाप्त कर लिया।

सुसाइड नोट में गंभीर आरोप

नरेंद्र धनखड़ ने अपने अंतिम शब्दों में साफ लिखा कि इस हादसे का जिम्मेदार उनकी पुत्रवधू और उसके माता-पिता हैं। उनकी पत्नी सुमन ने भी पुलिस को यही बयान दिया। एक घर जो कभी हंसी-खुशी से भरा था, अब मातम का अड्डा बन गया।

पड़ोसियों और परिजनों की प्रतिक्रियाएँ

पड़ोसी बताते हैं कि नरेंद्र बहुत शांत स्वभाव के इंसान थे। कभी किसी से ऊँची आवाज़ में बात तक नहीं करते थे। लेकिन बेटे की मौत और फिर लगातार हो रहे विवादों ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया। रिश्तेदार भी दंग हैं कि आखिर लालच और विवाद ने कैसे पूरा घर निगल लिया।

Faridabad पुलिस जांच और आगे की कार्रवाई

थाना सिटी पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस प्रवक्ता यशपाल सिंह के अनुसार, सभी एंगल से पड़ताल हो रही है। अगर पुत्रवधू और उसके परिवार की संलिप्तता साबित होती है तो कड़ी कार्रवाई होगी। आधिकारिक जानकारी के लिए यहाँ देखें।

समाज के लिए सबक – लालच और रिश्तों का अंधेरा चेहरा

यह कांड सिर्फ एक परिवार की निजी त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक आईना है। सोचिए, एक घर जहाँ कुछ महीने पहले तक शादी की खुशियाँ गूँज रही थीं, वहीं आज मातम पसरा हुआ है। क्यों? क्योंकि रिश्ते भरोसे और प्रेम पर नहीं, बल्कि लालच, ज़िद और दबाव पर टिके हुए थे।

आज हर गली-मोहल्ले में ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाते हैं जहाँ संपत्ति के झगड़े, दहेज की मांग, या सोशल मीडिया पर होने वाली बदनामी ने रिश्तों की नींव हिला दी है। जब परिवार में समझदारी और संवाद की जगह आरोप-प्रत्यारोप और लालच ले लेता है, तब नतीजा हमेशा बर्बादी ही होता है।

इस हादसे ने साबित कर दिया कि धन और ज़मीन-जायदाद से बढ़कर इंसान की मानसिक शांति और रिश्तों की क़ीमत होती है। अगर परिवार के भीतर बातचीत और आपसी समझ होती, तो शायद दो जिंदगियाँ बच सकती थीं। यह सिर्फ एक घर की नहीं, बल्कि पूरे समाज की चेतावनी है – हमें अब भी संभलना होगा।

समाज के हर व्यक्ति को यह सोचना चाहिए कि क्या हम रिश्तों को निभाने के लिए जी रहे हैं या केवल लालच और स्वार्थ के पीछे भाग रहे हैं? अगर अगली पीढ़ी को सुरक्षित और खुशहाल माहौल देना है, तो हमें विश्वास, संवाद और प्रेम को केंद्र में रखना होगा।

Faridabad के बल्लभगढ़ आत्महत्या कांड हमें यही कड़ा संदेश देता है कि लालच की आग सिर्फ संपत्ति ही नहीं जलाती, बल्कि पूरे परिवार और कभी-कभी पीढ़ियों तक को तबाह कर देती है।

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