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गुरुग्राम विदेशी सफाई अभियान: मिलेनियम सिटी पर गंदगी का शर्मनाक दाग

1. गुरुग्राम की गंदगी और विदेशी पहल

गुरुग्राम, जिसे “मिलेनियम सिटी” कहा जाता है, आज गंदगी और कचरे के ढेर से जूझ रहा है। हालात इतने बिगड़ गए कि सफाई की जिम्मेदारी खुद विदेशी नागरिकों ने अपने हाथों में ले ली। एमएनसी में काम करने वाले इन युवाओं ने पिछले 15 दिनों में एक ग्रुप बनाकर सड़कों और नालों की सफाई शुरू की।

गुरु द्रोणाचार्य मेट्रो स्टेशन, एमजी रोड और सेक्टर 47 के आसपास कचरे के ढेर को उठाते इन विदेशी युवाओं की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। यह नजारा न सिर्फ चौंकाने वाला था बल्कि शर्मसार करने वाला भी – क्योंकि यह काम तो नगर निगम और स्थानीय नागरिकों का होना चाहिए था।

2. नगर निगम पर तंज और जनभावना

गुरुग्राम में पिछले तीन महीने से सफाई व्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई है। बारिश ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। कूड़े की दुर्गंध से लोग परेशान हैं, लेकिन प्रशासन सिर्फ कागजों पर कार्रवाई दिखा रहा है।

लोगों ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा –

“हमें शर्म आनी चाहिए, यह जिम्मेदारी हमारी है। फ्रांस से आए वॉलंटियर्स हमारी गंदगी साफ कर रहे हैं और नगर निगम चुप है।”

विदेशियों का यह कदम कहीं न कहीं नगर निगम की पोल खोलता दिखा। प्रशासन ने बैठकें और योजनाएँ तो बनाईं, लेकिन हकीकत जमीनी स्तर पर सामने आ गई।

3. ‘दो मीटर का नियम’ और विदेशी संदेश

सर्बिया से आए लाजर ने एक सीधा संदेश दिया –

“हर कोई अपने घर और दुकान से दो मीटर का इलाका साफ रखे। इतना तो हम सब अपने देश के लिए कर सकते हैं।”

उन्होंने बताया कि वे तमिलनाडु, बैंगलुरु और ऋषिकेश जैसे शहरों में भी छोटे-छोटे सफाई अभियानों का हिस्सा रहे हैं। उनका मानना है कि भारतीय लोग दुनिया के सबसे साफ-सुथरे लोगों में गिने जाते हैं, लेकिन घर से बाहर की जिम्मेदारी उठाने से बचते हैं।

फ्रांस की मटिल्डा ने कहा –

“भारत अद्भुत देश है, मुझे इससे प्यार है। लेकिन हर जगह कचरा देखना दुखद है। मिलेनियम सिटी की सुंदरता इस गंदगी से दागदार हो रही है।”

4. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और प्रतिक्रियाएँ

“लेट्स क्लीन” नामक इस ग्रुप ने झाड़ू उठाकर नालियों तक की सफाई की। उनके वीडियो इंटरनेट पर वायरल हुए और हज़ारों लोगों ने इसे साझा किया।

एक यूजर ने लिखा –

“नगर निगम तो शायद सोच रहा है कि स्वच्छ भारत का कॉन्ट्रैक्ट भी विदेश भेज दें।”

यह तंज लोगों की नाराज़गी और निराशा को साफ दर्शाता है।

5. गुरुग्राम की चमक और हमारी जिम्मेदारी

विदेशियों की पहल ने यह साबित कर दिया कि अगर इच्छा हो तो सफाई कोई असंभव काम नहीं। लेकिन सवाल यह है – क्या गुरुग्रामवासी अब अपनी जिम्मेदारी समझेंगे?

स्थानीय निवासी अमन गुप्ता कहते हैं –

“अगर हर नागरिक आगे आए और बस अपने आसपास सफाई रखे, तो गुरुग्राम सचमुच क्लीन सिटी बन सकता है।”

गुरुग्राम को चमकाने के लिए अब केवल विदेशी नागरिकों पर निर्भर रहना शर्मनाक होगा। शहर हमारा है, कूड़ा भी हमारा है, तो सफाई की जिम्मेदारी भी हमारी ही होनी चाहिए।

6.निष्कर्ष

गुरुग्राम जैसे शहर, जिसे “मिलेनियम सिटी” कहा जाता है, उसकी सड़कों पर विदेशी नागरिकों का झाड़ू लगाना हमारे सिस्टम और समाज दोनों के लिए कड़ा आईना है। यह दृश्य केवल गंदगी की नहीं, बल्कि हमारी मानसिकता की गंदगी की भी याद दिलाता है। अगर विदेश से आए लोग हमारे घर की गंदगी उठा सकते हैं, तो फिर नगर निगम और हम नागरिक क्यों नहीं?

अब वक्त है कि नगर निगम सिर्फ कागज़ों पर बैठकों और योजनाओं तक सीमित न रहे, बल्कि जमीनी स्तर पर ईमानदारी से काम करे। गंदगी को सिर्फ सोशल मीडिया अभियानों से नहीं, बल्कि रोज़ाना की सख़्त निगरानी और ठोस कार्रवाई से हटाया जा सकता है। यदि निगम और नागरिक दोनों मिलकर जिम्मेदारी उठाएँ, तभी गुरुग्राम सचमुच अपनी पहचान – एक आधुनिक, स्वच्छ और चमकती मिलेनियम सिटी – बनाए रख पाएगा।

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