हरियाणा के नूंह जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसने पूरे राज्य में सनसनी मचा दी है। BDPO पूजा शर्मा, जो कभी ग्रामीण विकास की जिम्मेदारी संभाल रही थीं, अब भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी नजर आ रही हैं। आरोप इतना बड़ा है कि हर किसी के होश उड़ गए—28 करोड़ रुपये का गबन, 9 लाख की रिश्वत और पौधारोपण जैसे झूठे प्रोजेक्ट्स पर जनता की मेहनत की कमाई लूटना।
घोटाले की जड़ें: कैसे हुआ पर्दाफाश
फरीदाबाद की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने जांच के दौरान पाया कि 2020 से 2022 के बीच ग्राम पंचायत मुजेड़ी में ऐसे विकास कार्यों के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च दिखाए गए जो कभी हुए ही नहीं। पूजा शर्मा उस दौरान नूंह के पुन्हाना में BDPO पद पर थीं और उनके साथ कार्यवाहक सरपंच ब्रहमपाल, ग्राम सचिव जोगेंद्र और कई ठेकेदार शामिल बताए जा रहे हैं।
फर्जी विकास कार्य और करोड़ों का खेल
जांच रिपोर्ट के अनुसार, अलग-अलग फर्मों को भुगतान के नाम पर लगभग 28 करोड़ रुपये बांट दिए गए। ये फर्म केवल कागजों पर ही मौजूद थीं और विकास कार्यों का कोई अता-पता नहीं था। हैरानी की बात तो यह रही कि विभाग द्वारा खाते सील करने के बावजूद, पूजा शर्मा ने अपने स्तर पर इन्हें दोबारा खुलवाया और मोटी रकम एक फर्म को ट्रांसफर कर दी।
पंचायत खाते से निकाले लाखों
इतना ही नहीं, ACB की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि पंचायत खाते से करीब 9.20 लाख रुपये नकद निकाले गए। यह रकम पूजा शर्मा ने सीधे रिश्वत के तौर पर ली थी। यह हरियाणा की पंचायत व्यवस्था पर गहरी चोट है और दिखाता है कि कैसे अधिकारी जनता की गाढ़ी कमाई को अपनी तिजोरी भरने का साधन बना लेते हैं।
पौधारोपण के नाम पर ठगी
सबसे शर्मनाक खुलासा तब हुआ जब पौधारोपण योजना की जांच की गई। नवंबर-दिसंबर में, जब पेड़ लगाने का मौसम ही नहीं होता, उस समय फर्जी बिल बनाकर लाखों रुपये खर्च दिखा दिए गए। ठेकेदार हीरालाल और BDPO पूजा शर्मा की मिलीभगत से लगभग 43 लाख की धोखाधड़ी की गई। यह पूरा खेल जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा था।
गिरफ्तारियां और अदालत में पेशी
ACB ने BDPO पूजा शर्मा और ठेकेदार हीरालाल को गिरफ्तार कर अदालत में पेश करने की तैयारी की। बुधवार को दोनों को कोर्ट में पेश किया गया और रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई। अधिकारियों का कहना है कि जांच अभी कई पहलुओं पर जारी है और जल्द ही और बड़े खुलासे हो सकते हैं।
जनता का गुस्सा और सवाल
इस पूरे घोटाले ने ग्रामीणों के बीच गुस्से की लहर पैदा कर दी है। सवाल उठ रहा है कि अगर पंचायत स्तर पर इतना बड़ा भ्रष्टाचार हो सकता है, तो आम जनता के हितों की रक्षा कौन करेगा? जिन पैसों से गांवों की सड़कों, स्कूलों और पेयजल योजनाओं का विकास होना था, वो भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों की जेब में चले गए।
📝 निष्कर्ष
हरियाणा का यह BDPO घोटाला हमें आईना दिखाता है कि भ्रष्टाचार केवल रुपयों की हेराफेरी नहीं है, यह उस भरोसे की कब्रगाह है जिस पर आम लोग अपनी ज़िंदगी की उम्मीदें टिका देते हैं। जिन पैसों से गांव की सड़कें बन सकती थीं, जिनसे बच्चों के लिए स्कूल खड़े हो सकते थे और जिनसे गरीबों के घरों में रोशनी जल सकती थी—वहीं पैसा भ्रष्ट अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत में निगल लिया गया।
गांव का हर टूटा नल, हर अधूरी सड़क और हर जर्जर स्कूल आज सवाल पूछ रहा है—“क्या हमारे सपनों की कोई कीमत नहीं?” जनता यह मानकर कर चुकाती है कि उसका पैसा विकास में लगेगा, लेकिन जब वही पैसा सत्ता और पद की ताक़त रखने वालों की जेब में चला जाता है, तो सबसे बड़ा धोखा सिर्फ़ आर्थिक नहीं बल्कि भावनात्मक होता है।
इस घटना ने यह साफ कर दिया कि अगर सिस्टम पर निगरानी कड़ी नहीं हुई और भ्रष्टाचारियों को सख़्त सज़ा नहीं मिली, तो जनता का विश्वास धीरे-धीरे पूरी तरह खत्म हो जाएगा। और जब जनता का भरोसा टूट जाता है, तो लोकतंत्र की नींव तक हिल जाती है।