हरियाणा में प्रॉपर्टी बाजार पर सरकार का नया प्रयोग किसी तूफ़ान से कम नहीं। 5 सितंबर 2025 को हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) ने एक नोटिफिकेशन जारी कर निजी प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त को अपने ऑनलाइन पोर्टल से अनिवार्य कर दिया।
इस नोटिफिकेशन के तहत विक्रेता को ₹10,000 नॉन-रिफंडेबल रजिस्ट्रेशन शुल्क और जीएसटी भरना होगा, फिर प्रॉपर्टी की डिटेल्स, वैध स्वामित्व दस्तावेज़, कानूनी विवाद-मुक्त प्रमाण और वारिसों की सहमति अपलोड करनी होगी। खरीदार पोर्टल पर अपलोड तस्वीरें देखकर ऑनलाइन बोली लगाएंगे और सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को प्रॉपर्टी मिल जाएगी। डील फाइनल होते ही सिस्टम अपने-आप ट्रांसफर परमिशन जारी करेगा, जिसकी वैधता 90 दिन होगी। पुराने सिस्टम में खरीदार और विक्रेता आमने-सामने बैठकर डीलर की मदद से घर का निरीक्षण करते थे, पेपर चेक होते थे, बैंक लोन और कर्ज जैसी जटिलताओं को डीलर सुलझाता था और सौदा आपसी सहमति से पूरा होता था। लेकिन अब पूरी प्रक्रिया वर्चुअल हो गई है, जहां डीलर की भूमिका खत्म होकर सरकार खुद ‘डिजिटल बिचौलिये’ के रूप में सामने आ गई है।
HSVP पोर्टल नोटिफिकेशन: क्या और कैसे?
सरकार का कहना है कि यह पोर्टल पारदर्शिता और ईमानदारी लाएगा। हर लेन-देन सरकार की निगरानी में होगा और धोखाधड़ी की गुंजाइश खत्म होगी। लेकिन प्रॉपर्टी डीलरों का आरोप है कि यह नीति जमीनी हकीकत को अनदेखा कर बनी है।
पहली बड़ी खामी: घर देखे बिना ऑक्शन
सबसे बड़ी खामी यह है कि खरीदार को केवल फोटो देखकर बोली लगानी होगी। घर का निर्माण कैसा है, अंदर की हालत कैसी है, मरम्मत की जरूरत है या नहीं—इन पहलुओं की जांच के बिना खरीदार को लाखों-करोड़ों का फैसला करना होगा। यह सीधे-सीधे भविष्य में विवाद और धोखाधड़ी को न्योता देगा।
दूसरी खामी: मॉर्गेज और लोन का संकट
अगर प्रॉपर्टी पहले से बैंक लोन या मॉर्गेज में है, तो पोर्टल पर इसका समाधान नहीं। पारंपरिक सिस्टम में डीलर दोनों पक्षों को बैठाकर लोन निपटाने का रास्ता निकाल लेते थे। लेकिन इस नए डिजिटल मॉडल में खरीदार बोली जीतने के बाद भी ट्रांसफर फंस सकता है, जिससे सौदा अधर में लटक जाएगा और दोनों पक्षों को भारी नुकसान होगा।
तीसरी खामी: इमरजेंसी में कोई राहत नहीं
मान लीजिए किसी पक्ष के साथ अचानक मृत्यु या गंभीर बीमारी जैसी आपदा हो जाए। पुराने सिस्टम में डीलर दोनों को लचीलापन देकर रास्ता निकाल लेते थे। लेकिन पोर्टल के नियम साफ कहते हैं—अगर तय समय पर भुगतान न हुआ तो बयाना जब्त। यानी मानवीय परिस्थिति और इंसानियत की कोई जगह नहीं।
डीलरों की भूमिका और अस्तित्व पर खतरा
हरियाणा के हजारों डीलर वर्षों से खरीदार-विक्रेता के बीच भरोसे का सेतु बने हुए हैं। वे केवल कमीशन कमाने तक सीमित नहीं, बल्कि विवाद सुलझाने, दस्तावेज़ चेक कराने और बैंक प्रक्रियाएं पूरी करवाने जैसे अहम काम करते हैं।
अब HSVP खुद को डिजिटल डीलर की तरह स्थापित कर चुका है। नतीजा यह कि डीलरों की आजीविका खतरे में है और बाजार में विश्वास का ताना-बाना टूट सकता है।
HSVP Portal: सरकार से अपील और जनाक्रोश
हरियाणा प्रॉपर्टी कंसलटेंट फेडरेशन और कई एसोसिएशंस ने इस नीति को “अस्पष्ट और खतरनाक” बताते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उनका कहना है कि यह नीति HSVP के मूल उद्देश्य के खिलाफ है, जो केवल आवासीय योजनाएं और सेक्टर विकसित करने के लिए बना था, न कि निजी सौदों में बिचौलिया बनने के लिए।
जनता और डीलरों का मानना है कि अगर सरकार ने खामियों को तुरंत दूर नहीं किया, तो यह पोर्टल पारदर्शिता की जगह अराजकता और विवाद का अड्डा बन जाएगा।
📌 निष्कर्ष:
HSVP पोर्टल को आधुनिक डिजिटल सुधार बताया जा रहा है, लेकिन असल में यह खामियों से भरा प्रयोग है। घर देखे बिना बोली, मॉर्गेज का संकट और इमरजेंसी में राहत का अभाव—ये सब मिलकर इसे जनता और डीलरों दोनों के लिए खतरनाक बना देते हैं।
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