Microplastic in Salt and Sugar: चौंकाने वाली शुरुआत
भारत में बिकने वाले नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक मिला है।
हाँ… वही नमक, जिसे हम रोज़ खाते हैं। वही चीनी, जो बच्चों के दूध से लेकर आपकी चाय तक पहुँचती है।
👉 हर ब्रांड
👉 हर पैकेट
👉 हर नमूना
सब में प्लास्टिक मिला है।
यह सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं — यह डर का सच है।
पर्यावरण अनुसंधान संगठन Toxics Link द्वारा किए गए परीक्षण में दावा किया गया है कि बाज़ार में मिलने वाले नमक और चीनी में खतरनाक Microplastic मौजूद है।
मतलब… हम अपने खाने में अनजाने में प्लास्टिक निगल रहे हैं।
कैसे पकड़ा गया माइक्रोप्लास्टिक का ये ज़हर
शोधकर्ताओं ने 10 तरह के नमक चुने:
- टेबल सॉल्ट
- सी सॉल्ट
- रॉक सॉल्ट
फिर अलग–अलग कंपनियों की चीनी की भी जाँच की गई।
नतीजा?
हर सैंपल में माइक्रोप्लास्टिक मिला।
शर्मनाक बात ये है कि यह प्लास्टिक हमारी आँखों से इतना छोटा होता है कि हमें दिखाई भी नहीं देता। इन्हें कहते हैं —
Microplastic (size 0.1mm–5mm)
यानी प्लास्टिक जो आपकी प्लेट में है लेकिन आप उसे देख नहीं सकते।
नमक और चीनी में क्या मिला?
टेस्ट में मिले प्लास्टिक कणों के नाम पढ़कर आप हैरान रह जाएंगे:
| Plastic Type | कहाँ उपयोग होता है |
|---|---|
| Polyethylene | प्लास्टिक बैग |
| Nylon | जूते/कपड़ों में |
| Polypropylene | बोतलें |
| Polyester | कपड़े और पैकिंग |
अब सोचिए—जो प्लास्टिक हम फेंकते हैं…
वही प्लास्टिक, वापस हमारे शरीर में पहुँच जाता है।
Greed + Pollution = Poison on Plate
Doctors का डर — शरीर में क्या होता है?
Toxics Link के Executive Director संजय सिंह के अनुसार:
“माइक्रोप्लास्टिक शरीर के cells को नुकसान पहुँचा सकता है। इससे कैंसर, हार्ट प्रॉब्लम और हार्मोनल बदलाव होने का खतरा है।”
Doctors कहते हैं:
- ये कण खून में जाते हैं
- फिर liver, kidney और brain तक पहुँचते हैं
- धीरे–धीरे शरीर को अंदर से खोखला करते हैं
यह एक Slow Poison है — और हम unaware consumers हैं।
सरकार क्यों चुप है?
बड़ी कंपनियाँ करोड़ों ₹ कमाती हैं।
Quality-check की जिम्मेदारी किसकी है?
- FSSAI?
- Government?
- या सिर्फ भगवान भरोसे?
अभी तक कोई बड़ा एक्शन नहीं — सिर्फ “जाँच होगी” वाला बयान।
पर सवाल ये है:
क्या हम Plastic खाएँ और कोई जवाब न दे?
यह सिर्फ negligence नहीं, बल्कि betrayal of trust है।
जनता के गुस्से की वजह — क्यों भड़की नाराज़गी?
लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं:
“अब खाना खाएँ या प्लास्टिक?”
“सरकार और कंपनियाँ हमें बीमारी बेच रही हैं!”
Twitter और Instagram पर हैशटैग ट्रेंड कर रहा है:
#PlasticBharat
क्या हम रोज़ ज़हर खा रहे हैं?
एक shocking calculation:
➡ एक व्यक्ति साल में लगभग 4 किलो नमक खाता है
➡ और लगभग 21 किलो चीनी
अब सोचिए—हर चम्मच के साथ थोड़ा–थोड़ा प्लास्टिक पेट में जा रहा है।
USP:
“आप खुद प्लास्टिक नहीं खा रहे…
प्लास्टिक आपको खा रहा है।“
समाधान — हम क्या करें?
✅ Sea salt या Rock salt का इस्तेमाल करें
✅ Sugar intake कम करें
✅ Steel या glass containers use करें
✅ Filtered water उपयोग करें
✅ किन देशों के नमक में माइक्रोप्लास्टिक मिले?
| देश (Country) | किस नमक में माइक्रोप्लास्टिक मिले? | स्रोत / Study Finding |
|---|---|---|
| इंडोनेशिया | Sea Salt (सबसे अधिक माइक्रोप्लास्टिक) | Greenpeace + Incheon Univ. |
| भारत | Sea Salt + Table Salt + Rock Salt | Toxics Link Study (India) |
| चीन | Sea Salt | Kim et al., 2018 Study |
| थाईलैंड | Sea Salt | ESR (Environmental Science Research) |
| दक्षिण कोरिया (South Korea) | Sea Salt | Kim et al., 2018 |
| वियतनाम | Sea Salt | Kim et al., 2018 |
| फिलीपींस | Sea Salt | Kim et al., 2018 |
| ताइवान | Sea Salt | Kim et al., 2018 |
| यूके (United Kingdom) | Sea Salt (low level) | Kim et al., 2018 |
| फ्रांस | Sea Salt (कुछ samples clean) | Kim et al., 2018 |
| अमेरिका (USA) | Table Salt (कुछ में traces) | Environmental Research Journal |
| ऑस्ट्रेलिया | Sea Salt | Kim et al., 2018 |
| ब्राजील | Sea Salt | Kim et al., 2018 |
| इटली | Sea Salt | Italian Food Safety Board |
| स्पेन | Sea Salt | European Journal of Food Safety |