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Faridabad Explosive Case: 2900 KG विस्फोटक बरामद, डॉक्टर आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश — कैसे खुली इतनी बड़ी साजिश?

Faridabad Explosive Case सिर्फ एक गिरफ्तारी या विस्फोटक की बरामदगी की घटना नहीं है। यह एक सुनियोजित आतंकी साजिश थी, जो दिल्ली सहित कई बड़े शहरों में संभावित हमलों के लिए तैयार की गई लगती है। घटनाक्रम की शुरुआत एक चौंकाने वाली सूचना से हुई, लेकिन इसके बाद जो खुलासे हुए, उसने पूरे सिस्टम, सुरक्षा व्यवस्थाओं और प्रशासन की सतर्कता पर कई सवाल खड़े कर दिए।

📍 पहला बड़ा खुलासा: 360 किलो विस्फोटक बरामद

10 नवंबर 2025 को फरीदाबाद पुलिस ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले डॉ. मुजम्मिल शकील को हिरासत में लिया। वह यहाँ MBBS डॉक्टर और Faculty के रूप में कार्यरत था। पूछताछ में उसने एक कमरे का पता बताया, जहाँ फरीदाबाद के धौज थाना क्षेत्र के फतेहपुर तगा गाँव में 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट, एक राइफल, पिस्टल, मैगज़ीन, बैटरियों से जुड़े टाइमर, वायर, वॉकी-टॉकी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और 12 बड़े सूटकेस मिले।

यह पहली बार था जब पुलिस को समझ आया कि यह कोई आम मामला नहीं है।

📍 दूसरा ट्विस्ट: महिला डॉक्टर का कनेक्शन

इसी दौरान पता चला कि मुजम्मिल जिस कार का उपयोग करता था, वह एक महिला डॉक्टर डॉ. शाहीन की थी।
जांच में यह भी सामने आया कि शाहीन, यूनिवर्सिटी में जूनियर डॉक्टरों की मेंटर थी और उन पर वैचारिक प्रभाव डालती थी। कुछ गवाहों और चैट रिकॉर्ड में छात्रों के ब्रेनवॉश होने तक की संभावना जताई गई।

📍 तीसरा खुलासा: इमाम के घर से मिले 50 बोरे विस्फोटक

घटनाक्रम वहीं नहीं रुका। फतेहपुर तगा में आगे सर्च ऑपरेशन के दौरान पुलिस को एक और स्थान मिला —
यह मकान स्थानीय मस्जिद के इमाम इरफान का था, जहाँ मुजम्मिल का नियमित आना-जाना था।

यहाँ से 2563 किलो अमोनियम नाइट्रेट मिला।

यानि कुल बरामदगी =

स्थानबरामदगी (KG में)
कमरा (पहला मकान)360 KG
इमाम के घर से2563 KG
कुल मिलाकर2900 KG विस्फोटक

इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक का मिलना फरीदाबाद के इतिहास में पहली घटना थी।

📍 कैसे बना फरीदाबाद आतंकियों का ठिकाना?

  • फरीदाबाद में किरायेदार सत्यापन की प्रक्रिया लगभग नाममात्र की है
  • नए विकसित इलाकों में ज्यादा किरायेदार रहते हैं
  • पुलिस के पास उनका कोई रिकॉर्ड नहीं

इसका फायदा आतंकियों ने उठाया।

मुजम्मिल ने:

  • पहले पुलवामा जाकर विस्फोटक इकट्ठा किए
  • गाड़ी में सामग्री लाई
  • फतेहपुर तगा में कमरा किराए पर लिया
  • और धीरे-धीरे सामग्री जमा करता रहा

पता ही नहीं चला !

📍 मुजम्मिल की आतंकी कनेक्शन की पुष्टि

  • मुजम्मिल के तार Jaish-e-Mohammad और Gazwa-ul-Hind (ISIS local module) से जुड़े मिले
  • उसकी महिला साथी शाहीन और इमाम को हिरासत में लिया गया
  • पकड़े गए एक अन्य आतंकी डॉ. आदिल से मिली सूचना पर कार्रवाई हुई

📍 पूरी यूनिवर्सिटी में छापा — 13 लोग हिरासत में

पुलिस ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी से:

  • 7 डॉक्टर
  • 5 छात्र
  • 1 युवती

को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया।

मोबाइल फोन जांच में deleted chats मिलीं, संभवतः साजिश से जुड़ी।

📍 दिल्ली में धमाका और फरीदाबाद में हाई अलर्ट

उसी शाम दिल्ली में लाल किले के पास धमाका हुआ, जिससे कनेक्शन फरीदाबाद तक सीधा जुड़ने लगा।
इसके बाद:

  • पुलिस नाके
  • वाहनों की चेकिंग
  • मेट्रो/रेलवे स्टेशन पर तलाशी

जारी की गई।


🔍 प्रशासनिक सुधार की ज़रूरत

पूरे प्रकरण ने सामने रखा कि:

  1. किरायेदार सत्यापन की प्रक्रिया बेहद कमजोर है
  2. सुरक्षा एजेंसियों के बीच real-time coordination की कमी है
  3. यूनिवर्सिटी और धार्मिक संस्थानों की निगरानी आवश्यक है

पुलिस कमिश्नर ने स्पष्ट कहा:

“किरायेदार सत्यापन मकान मालिक की ज़िम्मेदारी है। अब व्यवस्था सख्त की जाएगी।”


🧩 निष्कर्ष

Faridabad Explosive Case ने दिखा दिया कि एक शिक्षित व्यक्ति भी आतंकी नेटवर्क का हिस्सा बन सकता है।
डॉ. मुजम्मिल जैसे “सफेदपोश आतंकवादी” समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं — क्योंकि वे सिस्टम की कमियों का फायदा उठाकर आम जीवन में घुल-मिल जाते हैं।

सवाल सिर्फ विस्फोटक मिलने का नहीं है,
सवाल यह है कि इतनी बड़ी साजिश हमारे बीच चल रही थी और किसी को भनक भी न लगी।

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