गणेश चतुर्थी 2025 का शुभ पर्व इस वर्ष 27 अगस्त को पूरे भारत में धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य माना जाता है, इसलिए भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी का दिन उनके भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। देशभर में मंदिरों से लेकर घरों तक पूजा, आरती और गणपति स्थापना का उत्सव देखने को मिल रहा है। इस बार का पर्व कई कारणों से खास है — शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि, चंद्रदर्शन और राशियों पर पड़ने वाले विशेष प्रभाव को लेकर लोग खासा उत्साहित हैं।
गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों के अनुसार गणेशजी की पूजा मध्यान्ह काल में करना श्रेष्ठ माना गया है। इस वर्ष गणपति स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा का सबसे शुभ समय सुबह 11:05 बजे से दोपहर 12:22 बजे तक रहेगा। इसके बाद राहुकाल शुरू हो जाएगा, जो अशुभ माना जाता है। वहीं विभिन्न शहरों में गणेश प्रतिमा स्थापना के लिए अलग-अलग समय निकाले गए हैं — जैसे पुणे में सुबह 11:21 से दोपहर 1:51 तक, दिल्ली में 11:05 से 1:40 तक और मुंबई में 11:24 से 1:55 तक का समय शुभ है।
इस बार खास बात यह भी है कि गणेश चतुर्थी का चंद्रदर्शन वर्जित नहीं होगा, क्योंकि मंगलवार को ही चतुर्थी का चंद्रमा निकल चुका है। बुधवार को तिथि अपराह्न 3:45 बजे तक ही रहेगी, इसलिए कलंक लगने की आशंका नहीं होगी। भक्त बिना किसी डर के चंद्रदर्शन कर सकेंगे।
मंदिरों में विशेष तैयारियां और सिंजारा महोत्सव
जयपुर के मोतीडूंगरी गणेश मंदिर सहित कई प्रमुख मंदिरों में सिंजारा महोत्सव मनाया गया। यहां भक्तों के लिए 3100 किलो मेहंदी का प्रसाद तैयार किया गया, जिसे 5 काउंटरों से वितरित किया गया। मंदिर को विशेष सजावट और सोने-चांदी के आभूषणों से सुसज्जित किया गया। मोतीडूंगरी गणेशजी को नौलखा शृंगार धारण कराया गया, जिसमें माणक्य, पन्ना और हीरे जड़े मुकुट का विशेष आकर्षण रहा।
महिलाओं और कन्याओं के लिए अलग से डोरा और मेहंदी की व्यवस्था की गई। गांव-गांव से 1000 से अधिक पदयात्राएं जयकारों के साथ मंदिरों तक पहुंचीं और श्रद्धालुओं ने ध्वज अर्पित कर आशीर्वाद लिया। देशभर के अन्य गणेश मंदिरों में भी भक्तों ने विशेष पूजा-अर्चना, दूध अभिषेक और भजन-कीर्तन किए।
पूजा-विधि और स्थापना के नियम
गणेशजी की स्थापना करते समय मूर्ति का चेहरा हमेशा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए और इसे ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में रखना शुभ माना गया है। मूर्ति चुनते समय इस बात का ध्यान रखें कि सूंड बाईं ओर झुकी हो और भगवान के हाथ में मोदक और आशीर्वाद की मुद्रा अवश्य हो। पूजा के दौरान दूर्वा, मोदक और लड्डुओं का विशेष महत्व बताया गया है।
गणेश चतुर्थी 2025: राशियों पर गणपति कृपा
इस बार गणेशोत्सव 10 दिनों तक चलेगा और अनंत चतुर्दशी (6 सितंबर 2025) को विसर्जन के साथ संपन्न होगा। ज्योतिषियों का मानना है कि इस अवधि में 6 राशियों पर गणेश जी की विशेष कृपा बरसेगी।
- मेष राशि: नई नौकरी और आर्थिक उन्नति के योग हैं। बेरोजगारों को अवसर मिलेगा और कारोबार में विस्तार होगा।
- वृषभ राशि: बैंक बैलेंस बढ़ेगा, करियर में तरक्की और विदेश में काम का अवसर मिल सकता है।
- सिंह राशि: लंबे समय से रुके कार्य पूरे होंगे और यश-कीर्ति में वृद्धि होगी।
- वृश्चिक राशि: करियर और व्यवसाय में सफलता, पुरस्कार या प्रमोशन का योग है।
- मकर राशि: प्रॉपर्टी और वाहन लाभ संभव है, पारिवारिक जीवन में खुशहाली रहेगी।
- मीन राशि: विवाह या जीवनसाथी मिलने की संभावना है, साथ ही प्रमोशन और मान-सम्मान बढ़ेगा।
इन 11 दिनों में श्रद्धापूर्वक पूजा करने वालों के जीवन से विघ्न और संकट दूर होंगे तथा सुख-समृद्धि का वास होगा।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी 2025 आस्था, उत्साह और परंपराओं का संगम है। इस बार न केवल शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि भक्तों को उत्साहित कर रहे हैं, बल्कि मंदिरों में की गई भव्य तैयारियां और ज्योतिषीय दृष्टि से राशियों पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव भी लोगों में नई ऊर्जा भर रहे हैं। गणपति बप्पा का यह पर्व हर किसी के जीवन में मंगल और सुख-समृद्धि लाने वाला है।