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जगदीप धनखड़ लापता: 18 दिन से कोई खबर नहीं – देश में बढ़ी बेचैनी

रहस्यमयी गुमशुदगी की शुरुआत

21 जुलाई 2025 – संसद का मानसून सत्र शुरू होने का पहला दिन। सब कुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन अचानक एक खबर ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी – उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया। वजह बताई गई – स्वास्थ्य कारण। उस दिन उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र सौंपा और कार्यवाही में भी हिस्सा लिया। लेकिन उसके बाद मानो वह हवा में गुम हो गए।


कपिल सिब्बल की चिंता और तंज

राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस गुमशुदगी को लेकर न सिर्फ चिंता जताई, बल्कि तीखा तंज भी कसा। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा –
“क्या हमें बताया जा सकता है कि वह कहां हैं? क्या वह सुरक्षित हैं?”

सिब्बल ने यह भी कहा कि उन्हें पहले “लापता लेडीज” के बारे में सुनने को मिला था, लेकिन “लापता उपराष्ट्रपति” पहली बार देख रहे हैं। उन्होंने चुटकी लेते हुए जोड़ा कि अब शायद विपक्ष को ही उन्हें ढूंढना पड़ेगा।


18 दिन की खामोशी – जनता में बेचैनी

इस्तीफे के 18 दिन बीत गए, लेकिन जगदीप धनखड़ लापता मामले में न कोई आधिकारिक बयान आया, न ही कोई तस्वीर या वीडियो। बताया गया कि फोन करने पर उनके पीए ने कहा कि “वह आराम कर रहे हैं”, लेकिन उसके बाद फोन भी नहीं उठे। कई नेताओं ने यह दावा किया कि वह कॉल रिसीव नहीं कर रहे हैं।

देश के नागरिकों में यह बेचैनी बढ़ रही है – क्या सब कुछ ठीक है?


स्वास्थ्य कारण या कुछ और?

धनखड़ का कार्यकाल 2027 तक चलने वाला था। अचानक त्यागपत्र और फिर पूर्ण चुप्पी ने राजनीतिक गलियारों में सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि आधिकारिक कारण स्वास्थ्य बताया गया, लेकिन सत्र के पहले दिन कार्यवाही में शामिल होना और फिर बिना किसी सार्वजनिक उपस्थिति के गायब हो जाना कई अटकलों को जन्म दे रहा है।

हालांकि, बिना किसी ठोस प्रमाण के अफवाह फैलाना उचित नहीं है, लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि इतनी लंबी अनुपस्थिति और कोई अपडेट न मिलना देश के उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद के लिए असामान्य है।


गायबगी का रहस्यमय टाइमलाइन

  • 21 जुलाई 2025: मानसून सत्र का पहला दिन, धनखड़ ने राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंपा।
  • 22 जुलाई: मीडिया में बस एक पंक्ति – “स्वास्थ्य कारण से अवकाश” – इसके बाद कोई आधिकारिक अपडेट नहीं।
  • 25 जुलाई: कुछ सूत्रों ने दावा किया कि वह दिल्ली से बाहर हैं, लेकिन स्थान अज्ञात।
  • 29 जुलाई: विपक्ष ने पहली बार संसद में उनका मुद्दा उठाया, लेकिन सरकार ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया।
  • 4 अगस्त: सोशल मीडिया पर #WhereIsDhankhar ट्रेंड करने लगा।
  • 8 अगस्त: 18 दिन बीत गए, फिर भी कोई तस्वीर, वीडियो या आधिकारिक बयान नहीं।

यह टाइमलाइन साफ़ दिखाती है कि जगदीप धनखड़ लापता रहस्य दिन-ब-दिन और गहराता गया, और अब यह सिर्फ व्यक्तिगत स्वास्थ्य का मामला नहीं रहा, बल्कि एक राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन चुका है।

सरकार पर सवाल और राजनीतिक हलचल

कपिल सिब्बल ने गृह मंत्री अमित शाह से सीधा सवाल किया –
“क्या जगदीप धनखड़ सुरक्षित हैं? उनसे कोई संपर्क क्यों नहीं हो पा रहा?”

उन्होंने यहां तक कहा कि जरूरत पड़ी तो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने पर भी विचार किया जा सकता है। सरकार की चुप्पी को लेकर विपक्ष हमलावर है, जबकि सत्ता पक्ष ने अब तक कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

ऐसे में, यह मामला केवल व्यक्तिगत चिंता का नहीं, बल्कि संवैधानिक पद की पारदर्शिता और जवाबदेही का सवाल भी बन चुका है।

निष्कर्ष

जगदीप धनखड़ का अचानक गायब होना सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं है—ये हमारी पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक सवाल है। लोकतंत्र में जनता को अपने नेताओं की स्थिति जानने का अधिकार है, चाहे वो सत्ता में हों या पद छोड़ चुके हों। पारदर्शिता केवल एक शब्द नहीं, बल्कि विश्वास की नींव है। अगर हम अपने पूर्व उपराष्ट्रपति के बारे में हफ्तों तक अनजान रह सकते हैं, तो यह खामोशी सत्ता और जनता के बीच की दूरी को और गहरा कर देती है।
आज जरूरत है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों इस मामले में राजनीति से ऊपर उठकर एकजुट हों—क्योंकि लोकतंत्र तब ही मजबूत रहता है, जब सच छुपाया नहीं, बल्कि साझा किया जाता है।

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