1. JE रिश्वत कांड की शुरुआत कैसे हुई
फरीदाबाद का नाम एक बार फिर भ्रष्टाचार कांड में सामने आया है। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) का जूनियर इंजीनियर (JE) नरेश कुमार रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। इसे अब लोग “JE रिश्वत कांड” के नाम से पुकार रहे हैं। यह सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के सड़े हुए ढांचे का आईना है।
2. शराब ठेकेदार की मजबूरी और दबाव
शराब ठेकेदार गोपाल और उसके पार्टनरों ने जिले में 6 शराब ठेके लिए। इनमें से तीन HSVP से और बाकी तीन निजी व्यक्तियों से किराए पर लिए गए थे। लेकिन HSVP ने शाहपुर जाट चौक और मलेरना गांव की दुकानों को हटाने का नोटिस जारी कर दिया।
यहीं पर JE नरेश कुमार एंट्री करता है और एक ऐसा सौदा पेश करता है जो सीधे भ्रष्टाचार की गंध से भरा हुआ था।
3. 6 लाख की डिमांड और 19 अगस्त की तोड़फोड़
JE ने दुकानों को न तोड़ने की एवज में 6 लाख रुपये की डिमांड रखी। ठेकेदार ने इंकार कर दिया। नतीजा? 19 अगस्त को उसकी दो दुकानों को तोड़ दिया गया।
ये कदम सिर्फ दुकानें तोड़ना नहीं था, बल्कि एक तरह से ठेकेदार पर दबाव बनाने का तरीका था – “पैसे दो, वरना सब कुछ खत्म कर दूँगा।”
4. सौदेबाज़ी से 5 लाख तक का सफर
नरेश कुमार की मांग लगातार जारी रही। आखिरकार कई बैठकों और दबाव के बाद सौदा 6 लाख से घटकर 5 लाख पर तय हुआ।
लेकिन ठेकेदार के मन में एक और प्लान चल रहा था – इस खेल का अंत अब होगा।
5. ठेकेदार की हिम्मत और ACB का जाल
ठेकेदार ने सीधे एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) से संपर्क किया। उसने पूरी कहानी सुनाई कि किस तरह से JE लगातार पैसे की डिमांड कर रहा है और किस तरह धमकी देकर दुकानों को तुड़वाया गया।
ACB ने तुरंत ट्रैप की योजना बनाई।
6. 1.50 लाख लेते रंगे हाथ गिरफ्तार
शुक्रवार को NH-2 बाईपास रोड पर ACB ने जाल बिछाया।
जैसे ही JE ने 1.50 लाख रुपये की पहली किश्त ली, टीम ने उसे वहीं धर दबोचा।
यह सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि उस मानसिकता की पोल खोलना था जिसमें अफसर अपनी कुर्सी को “कमाई का ज़रिया” मान चुके हैं।
7. सिस्टम में गहराई तक फैला भ्रष्टाचार
यह सवाल अब सबके मन में है – क्या JE अकेले ये खेल खेल रहा था?
ब्यूरो भी मान रही है कि इतनी बड़ी रिश्वतखोरी सिर्फ निचले स्तर पर नहीं हो सकती। जांच में और बड़े अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं।
8. जनता की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर बवाल
जैसे ही खबर सोशल मीडिया पर आई, लोगों का गुस्सा फूट पड़ा।
किसी ने लिखा – “जब छोटे अफसर 6 लाख मांग सकते हैं तो बड़े अधिकारी कितनी बड़ी रकम खा रहे होंगे?”
तो किसी ने तंज कसा – “अब समझ आया विकास प्राधिकरण के फंड कहाँ जाते हैं।”
9. भविष्य की जांच और बड़े नामों का खतरा
ACB ने मामला दर्ज कर लिया है और JE को अदालत में पेश किया जाएगा। जांच का दायरा बढ़ सकता है और यह भी संभव है कि उच्च पदस्थ अधिकारी भी इस चक्रव्यूह में फंसें।
यह केस आने वाले दिनों में एक बड़ा भ्रष्टाचार कांड बन सकता है।
10. निष्कर्ष: क्या कभी रुकेगा ये रिश्वतखोरी का खेल?
फरीदाबाद का यह JE रिश्वत कांड हमें याद दिलाता है कि भ्रष्टाचार केवल पैसे का खेल नहीं, बल्कि जनता के भरोसे के साथ किया गया सबसे बड़ा धोखा है।
एक तरफ सरकार “भ्रष्टाचार मुक्त भारत” की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ सिस्टम में बैठे लोग करोड़ों की मलाई काट रहे हैं।
अगर हर नागरिक हिम्मत दिखाए और ठेकेदार गोपाल की तरह शिकायत करे, तभी बदलाव संभव है।
वरना, रिश्वतखोरी का यह गंदा खेल यूं ही चलता रहेगा…